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UP : अमरोहा के बछरायूं में भाजपाइयों ने तिरंगा रैली में उल्टा फहराया तिरंगा, तस्वीर हुई वायरल

अमरोहा के बछरायूं कस्बे का मामला, दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर भाजपाइयों द्वारा निकाली गई रैली में उल्टा लहराया राष्ट्रध्वज, सोशल वीडियो पर वायरल हुई तस्वीर

Amroha News : अमरोहा के बछरायूं कस्बे में गांधी जयंती के मौके पर भाजपाइयों द्वारा निकाली गई तिरंगा रैली में भाजपाई हाथ में उल्टा झंडा लिए कस्बे में घूमते नजर आए। किसी ने तिरंगा उल्टा फहराने की इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। सोशल मीडिया पर इसको जमकर वायरल किया जा रहा है। लोग इसके जिम्मेदारों के खिलाफ प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहें है।

शनिवार दो अक्टूबर को बछरायूं के भाजपा नगराध्यक्ष शेख चिरागुद्दीन व पालिकाध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके शुभम शर्मा के नेतृत्व में भाजपाइयों ने कस्बे में गांधी जयंती पर तिरंगा यात्रा निकाली थी। दर्जनों भाजपाई बाइक पर सवार होकर कस्बे में घूमे। तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि तिरंगा यात्रा में आगे चल रही एक बाइक सवार के पीछे बैठा व्यक्ति ने तिरंगा झंडा पकड़ा हुआ है।

हवा में लहरा रहा इस झंडे में हरा रंग सबसे ऊपर जबकि केसरिया रंग नीचे था। भाजपाई उल्टा तिंरगा लहराते हुए पूरे कस्बे में घूमे लेकिन उन्हें गलती का कोई एहसास नही हुआ। किसी ने भाजपाइयों द्वारा किए गए तिरंगा के अपमान की यह पिक्चर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद इसको सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया जाने लगा। लोग सोशल मीडिया पर इसको तिंरगे का अपमान बताते हुए कमेंट कर प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है।

फेसबुक पर सेंड करते वक्त तस्वीर से हटाई गई तिरंगे की पिक्चर “लाल घेरे में “

नेता जी ने पिक्चर से ही गायब कर दिया तिरंगा
फेसबुक पर तिरंगा यात्रा की पिक्चर सेंड करते वक्त नगराध्यक्ष शेख चिरागुद्दीन को गलती का एहसास हुआ। पहले की गलती छिपाने को वह एक ओर बड़ी गलती कर बैठे। नेताजी यदि तस्वीर को हू-ब-हू सेंड करते तो उल्टा तिरंगा तस्वीर में साफ दिखाई दे रहा था। फेसबुक पर लोगों के कमेंट से बचने के लिए नेता जी ने तिरंगा रैली की पिक्चर से तिरंगे को एडिट कर खत्म कर दिया।

क्या कहता है कानून
प्रिवेन्शन ऑफ इंसल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट, 1971 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति मौखिक, लिखित या किसी भी प्रकार से राष्ट्र चिन्हों और राष्ट्रध्वज का अपमान करता है, तो उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। हालांकि इसके कुछ तकनीकी पहलू हैं। भाजपाइयों की रैली का यह मामला इस दायरे में आता है या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चल सकता है।

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