UP Election 2022 : अमरोहा में किसका पलड़ा भारी, किसको मिला जाटों का साथ, किसके पक्ष में होंगे चुनाव नतीजे जानिए समीक्षात्मक खबर
CNB NEWS टीम ने भी वोटिंग के बाद चुनाव नतीजों से पहले हार जीत का समीक्षात्मक आंकलन किया है। जिले की किस सीट पर कौन जीत रहा और किसको पराजय मिलेगी। किसान आंदोलन का कितना असर हुआ और कितना चला हिंदुत्व पढ़िए पूरी खबर
Amroha News : दूसरे चरण के लिए अमरोहा में शांति पूर्ण वोटिंग हो चुकी है। वोटिंग के बाद मतदाता हार जीत का गणित लगाने में जुटे है। जिले में चार विधानसभा सीटें है। किस सीट पर कौन जीत रहा है, हर किसी का अपना नजरिया है। CNB NEWS टीम ने भी जिले में मतदान के बाद समीक्षात्मक आंकलन किया है। यह जानने से पहले की 2022 में जिले में किस सीट पर किसको जीत मिलेंगी, पहले 2017 के चुनाव नतीजों पर नजर डालना जरूरी है।
2017 के विधानसभा चुनाव में जिले में बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी। जिले की चार में से तीन सीटों पर कमल खिला था। अमरोहा सदर सीट पर महबूब अली ने जीत दर्ज कर सपा का खाता खोला था। नौगावां सादात सीट पर चेतन चौहान, हसनपुर सीट पर महेंद्र सिंह खड़ंगवंशी, धनौरा सीट पर राजीव तरारा ने जीत दर्ज कराई थी। इससे पहले 2012 के चुनाव में जिले की चारों सीटें सपा ने जीती थी।
अमरोहा विधानसभा सीट
अमरोहा विधानसभा सीट इस बार भी समाजवादी पार्टी के खाते में जाती हुई दिखाई दे रही है। यहां से लगातार पांच बार से महबूब अली विधायक है। 2017 की हिंदुत्व लहर में भी महबूब अली ने जीत दर्ज की थी। इस बार उन्हें जीत के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। हालांकि ऐनवक्त तक अपने सभी धुर-विरोधियों को वह अपने साथ लाने में कामयाब रहे। वोटिंग से दो दिन पहले उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सलीम खान को भी अपने पाले में कर लिया और अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा ज्वाइन करा दी। इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। लेकिन बसपा प्रत्याशी नवेद अयाज़ वोटिंग तक उनकी चैन छीने रहे। नवेद अयाज़ का दावा है कि उनको अच्छा वोट मिला और नतीजे चौकाने वाले होंगे।
नौगावां सादात विधानसभा सीट
नौगावां सादात सीट पर पिछली बार कमल खिला था लेकिन 2022 के चुनाव में कमल मुरझाता हुआ दिखाई पड़ रहा है। यहां पर ऐनवक्त पर मुस्लिम और जाट वोट के एक साथ आ जाने और दूसरी जातियों में भी सेंधमारी से सपा से समरपाल सिंह की जीत होती दिख रही है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र नागपाल को भी कमजोर नही आंका जा सकता है, देवेंद्र नागपाल अपनी छवि के आधार पर मुस्लिम सहित हर वर्ग का वोट लेने में कामयाब होते दिखे। यही उनकी जीत का कारण बन सकता है लेकिन जिस तरह से जिले में सभी जगह जाटव वोट इस चुनाव में हाथी पर एक चाल से जाता दिखा उससे साफ है कि नौगावां में सपा को फायदा मिलेगा।
हसनपुर विधानसभा सीट
हसनपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है। यहां खागी वोटों की एकजुटता, सपा और बसपा के बाहरी प्रत्याशियों का फायदा भाजपा को मिलता दिखा। गुर्जर और जाटव वोटों के अलावा यहां की हिन्दू ओबीसी और अग्रणी जाति के मतदाताओं का एक तरफा बीजेपी की ओर झुकाव ने पार्टी प्रत्याशी की मुश्किलें कम कर दी। 2017 में भी यही आधार बीजेपी के महेंद्र सिंह की जीत का कारण बना था। इस बार भी यहां कमल खिलता दिखाई दे रहा है। बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक महेंद्र सिंह खड़गवंशी को प्रत्याशी बनाया था। हसनपुर सीट पर एक लाख के करीब खागी वोट है। जो जीत के लिए निर्णायक है।
धनौरा विधानसभा सीट
धनौरा सीट इस बार सपा के खाते में जाती दिख रही है। वर्तमान में यहां से बीजेपी के राजीव तरारा विधायक है। किसान आंदोलन का असर और मुस्लिमों इलाकों में बम्पर वोटिंग से साफ है इस बार यहां कमल खिलना बहुत मुश्किल है। 70 फीसदी जाट वोट के गठबंधन के साथ चलें जाने से यहां बीजेपी की जीत रुकती दिखी। 2017 में यहां से बीजेपी को कोर वोट बैंक के साथ ही हिंदुओ की अग्रणी जातियों के साथ ही ओबीसी का भी एक तरफा वोट मिला था। लेकिन इस बार गठबंधन की तगड़ी सेंधमारी ने सारा गणित बिगाड़ दिया। जिसकी भरपाई मुश्किल है। दूसरी ओर मुस्लिमों का एक तरफा साइकिल की ओर झुकाव बीजेपी की जीत में बड़ा रोड़ा है।
जिले में विधानसभा वार मतदान का प्रतिशत
विधानसभा प्रतिशत
अमरोहा 70.15%
नौगांवा 74.17%
हसनपुर 73.58%
धनौरा 70.02%
जनपद का कुल मतदान औसत 72.02%