भारत मे लागू हुआ CAA, इससे मुसलमानों पर क्या पड़ेगा फर्क, किस बात का है डर ?
केंद्र सरकार ने देश में CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून को लागू कर दिया है। जिसके बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आये छह धर्मों के लोगों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इसमें मुस्लिमों को शामिल नही किया गया है। मुस्लिमों को डर है कि इसके बाद सरकार NRC लागू करेगी। जिससे उन्हें खुद को भारत का नागरिक साबित करने में संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि सरकार का कहना है कि CAA में उन्होंने किसी तरह का भेदभाव नही किया है।
CNB News ब्यूरो : पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला कानून सोमवार से पूरे देश में लागू हो गया। 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति ने नागरिकता संशोधन कानून को मंजूरी दे दी थी। इसे छह महीने के भीतर नियम बनाकर लागू किया जाना था, लेकिन 4 साल और 8 एक्सटेंशन के बाद मोदी सरकार ने 11 मार्च को इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। साथ ही देशभर में अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। कई शहरों में अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है। खुफिया तंत्र भी पूरी तरह अलर्ट है।
CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून मोदी सरकार के लिए बड़ा मुद्दा रहा है, गृह मंत्री अमित शाह बार-बार दावा कर रहे थे कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया जाएगा। सोमवार को सरकार ने अचानक CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर इसे लागू कर दिया। सरकार के मुताबिक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। जिसमें आवेदकों को यह बताना होगा कि किस वर्ष उन्होंने बिना दस्तावेज के भारत में प्रवेश किया था।
नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद बड़ा सवाल ये है कि आखिर CAA है क्या? और इसके लागू होने के बाद क्या बड़े बदलाव होंगे? CAA के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी। इस प्रावधान में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। यही विरोध का कारण बन रहा है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि सीएए में किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं है।
CAA में मुसलमानों को क्यों नहीं किया शामिल ?
BJP ने कहा कि केंद्र सरकार सीएए के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रभावित अल्पसंख्यक समुदाय को राहत देना चाहती है। इन देशों में मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक नहीं, बल्कि बहुसंख्यक है। यही वजह है कि उन्हें सीएए में शामिल नहीं किया गया।
CAA के खिलाफ क्या फिर शुरू होगा विरोध प्रदर्शन?
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और 30 स्वदेशी संगठनों ने सोमवार को कहा कि वे राज्य भर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की प्रतियां जलाएंगे। संगठन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि वे सीएए के खिलाफ अपना अहिंसक, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रखेंगे। कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे।
मौलाना फिरंगी ने बोले- नोटिफिकेशन पढ़ने के बाद करेंगे कानूनी कार्रवाई
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना फिरंगी ने कहा- हमारी कानूनी टीम अधिसूचना पढ़ेगी। इसके बाद हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। इस समय हमें सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से बचना होगा। हमें अपने देश के कानून पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।
CAA के विरोध प्रदर्शन में गई थी कई लोगों की जान
2019 में CAA पास होने के बाद इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो हुए थे। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से लेकर शाहीन बाग तक, लखनऊ से लेकर असम तक, मेरठ, बिजनौर समेत कई जगहों पर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में कई लोगों की जान तक चली गई थी। शाहीन बाग में एक महीने से ज्यादा समय तक सड़क ब्लॉक कर विरोध प्रदर्शन किया था। वेस्ट यूपी के मेरठ , बिजनौर, सम्भल अमरोहा में भी विरोध प्रदर्शन हुए थे। बिजनौर और मेरठ में प्रदर्शन के दौरान कई युवकों की गोली लगने से जान चली गई थी।
विरोध का कारण क्या है?
CAA को लेकर पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया।जिसमें कई लोगों की जान चली गई। लोग CAA का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है। इस कानून में तीन देशों से आने वाले सभी छह धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, जबकि मुस्लिम धर्म के लोगों को इससे बाहर रखा गया है। उन्हें डर है कि CAA के बाद सरकार एनआरसी लाएगी जिसमें खुद को भारत का नागरिक साबित करने में दिक्कत होगी।
ओवैसी बोले CAA का करें विरोध
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है कि आप क्रोनोलॉजी समझिए। पहले चुनावी मौसम आएगा और फिर CAA के नियम। उन्होंने लोगों से इसका विरोध करने को कहा है।