अमरोहा के धनौरा में आप तड़पे या मरें रात को नही मिलेगा इलाज, नर्सिंग होम संचालकों के दरवाजे बंद !
रोइये की आप धनौरा(Amroha) में हैं, यहां रात को इलाज चाहिए तो भटकने को तैयार रहिए, वैसे ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि यह दिन नही आए
Amroha News : यह सुनकर आपको हैरत जरूर हो सकती है लेकिन सच है। रात को नौ बजते ही धनौरा शहर में मरीज को गंभीर स्थिति में इलाज मिलना नामुमकिन है। अगर मिल जाए तो शुक्र मनाए कि आप की जिंदगी उनके इस एहसान से बची।
तड़पता मरीज अस्पताल पहुंचने पर …
कंपाउंडर का बहाना डॉक्टर साहब उपलब्ध नही, है तो आज तबियत ठीक नही है, कही और दिखा लीजिए, बस तड़पते मरीज को आप इधर से उधर लेकर भटकते रहिए, नए नए बहाने सुनते जाइये। अगर आप को इलाज मिल जाए तो बड़ा भाग्यवान समझिए। ईश्वर का शुक्रिया अदा करने से पहले इलाज देने वाले डॉक्टर को थैंक्यू बोलना मत भूलिये।
जरा यहां गौर कीजिए…केस
दिन बुधवार, समय रात के करीब साढ़े नौ बज रहे है। क्षेत्र निवासी 45 वर्षीय एक महिला की अचानक तबियत खराब हो जाती है। शुरुआती तौर पर परिजन कस्बे के ही चिकित्सक को दिखाते है लेकिन उपचार शुरू होने के बाद भी हालत में सुधार नही होता है, डॉक्टर हाथ खड़े कर देता है। धनौरा स्थित बड़े चिकित्सक के ले जाने की सलाह देता है। परिजन दौड़े दौड़े महादेव चुंगी स्थित बाईपास मार्ग पर एक नामी चिकित्सक के नर्सिंग होम पर पहुंचते है। समय करीब साढ़े नौ बज रहे होते है। अंदर से गेट बंद है आवाज लगाने पर नर्सिंग होम में मौजूद रात्रि अटेंडेट आता है और गेट खोले बिना ही सींखचे में से झांक कर कह देता है डॉक्टर साहब उपलब्ध नही है, बार बार रिक्वेस्ट करने पर अटेंडेट की ओर से कहा जाता है कही और दिखा लीजिए, डॉक्टर साहब आराम में है, तबियत कुछ ठीक नही है। मरीज की बढ़ती तड़प को देख कर तीमारदार आगे की ओर चलते है।
समय करीब 9 : 42 बज रहे है। स्थान कलाली चुंगी स्थित नर्सिंग होम। यहां पहले तो मरीज का बीपी चेक कर लिया जाता है फिर डॉक्टर साहब से फोन पर बात कर कहा जाता है कि आप रेलवे स्टेशन स्थित दूसरे डॉक्टर के यहां ले जाइये। डॉक्टर साहब है, नही है, या बाहर है कुछ बताने से गुरेज करते हुए खामोशी अख्तियार कर ली जाती है। बेबस तीमारदार क्या कर सकते हैं। मरीज की तड़प बढ़ती जा रही है, दर्द असहनीय हो रहा है। नर्सिंग होम का स्टाफ सब कुछ देख रहा। भले ही यह शहर का बड़ा नामी नर्सिंग होम है, परंतु इमरजेंसी में भी यहां इलाज मयस्सर नही है। मरीज तड़पे या मरें किसी पर कोई फर्क नही पड़ने वाला।
नई आस में हिम्मत कर तीमारदार तड़पे मरीज को रेलवे स्टेशन रोड स्थित हॉस्पिटल की ओर लेकर चल पड़ते है। ईश्वर का कर्म होता है, या कहिये बड़ी कृपा होती है स्टाफ तड़पते मरीज को देख कर तुरंत वार्ड में भर्ती कर लेता है। डॉक्टर को सूचित किया जाता है। डॉक्टर साहब आते है और इलाज शुरू कर देते है। उपचार के कुछ समय बाद मरीज की हालत में सुधार होने लगता है। तीमारदार व मरीज के चेहरे पर सुकून की चमक बढ़ती जाती है और वें मन ही मन डॉक्टर के इस एहसान को जिंदगी भर याद रखने के लिए दिल में बसा लेते है। ईश्वर का शुक्रिया अदा करने के साथ ही डॉक्टर और स्टाफ का भी शुक्रिया अदा करते हैं।
गंभीर स्थित में कहां जाए मरीज ?
धनौरा शहर में वैसे तो डॉक्टरों और झोलाछापों की भरमार है लेकिन करीब आधा दर्जन ऐसे नर्सिंग होम संचालित है, जिनको स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मिली है। इन अनुमति प्राप्त नर्सिंग होम में रात को नौ बजे के बाद इलाज बंद है। यानि गंभीर स्थिति में भी नर्सिंग होम के गेट बंद है। आप कितनी भी मिन्नतें कर लें, लेकिन यहां किसी का दिल पसीजने वाला नही है, यह अलग बात है चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है।
लोगों का कहना है कि वें रात में गंभीर इमरजेंसी की स्थिति में मरीज को लेकर कहां जाए ? यूं तो धनौरा शहर में सीएचसी अस्पताल है। वहां इलाज की क्या स्थिति है किसी से छिपी नही हैं। गंभीर स्थिति में रेफर के अलावा वहां किस स्तर का मरीजों को इलाज मिलता है यह हर कोई जानता है। बड़ा सवाल यह है कि अब ऐसे में गंभीर स्थिति में मरीज कहां जाए। सरकारी अस्पताल में इलाज है नहीं और निजी नर्सिंग होम के गेट रात को बंद हैं।