भाजपा ने दिया सपा को झटका… पूर्व मंत्री और तीन बार के विधायक राज किशोर सिंह को पार्टी में शामिल, समीकरण बदलने के कयास
लोकसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल के बाहुबली नेता और सपा सरकार में मंत्री रहे राजकिशोर सिंह भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) में शामिल हो गए हैं. पूर्वांचल के एक और क्षत्रिय नेता के भाजपा में शामिल हो जाने से जहां बस्ती और आसपास के क्षेत्र को साधने में पार्टी को मदद मिलेगी वहीं मौजूदा सांसद और प्रत्याशी हरीश द्विवेदी की राह भी आसान हो गई है. गृह मंत्री अमित शाह के लखनऊ प्रवास के दौरान राजकिशोर और उनके भाई बृजकिशोर सिंह डिम्पल अपने समर्थकों के साथ पार्टी में शामिल हो गए.
पूर्व मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता राजकिशोर सिंह और उनके भाई बृजकिशोर सिंह डिम्पल ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थाम लिया. गृह मंत्री अमित शाह के लखनऊ दौरे पर सुबह उनसे मुलाकात करने के बाद दोनों भाइयों ने शाम को बीजेपी कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ले ली. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, यूपी सरकार में मंत्री जेपीएस राठौड़ और बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी की मौजूदगी में राजकिशोर और बृजकिशोर अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.
‘साकार होने जा रहा 400 पार का नारा’
बड़ी संख्या में बस्ती क्षेत्र के स्थानीय नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख भी राजकिशोर के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. इस मौके पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि इनके आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी. वहीं यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री की नीतियों से प्रभावित होकर लोग भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अबकी बार 400 पार का नारा साकार होने जा रहा है.’
बस्ती में है राजकिशोर सिंह का प्रभाव
मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्वांचल के बाहुबली नेता राजकिशोर सिंह का बस्ती में प्रभाव है. खासतौर पर क्षत्रिय वोटरों पर प्रभाव की वजह से इसे बीजेपी की रणनीतिक पहल माना जा रहा है. राजकिशोर सिंह और भाई बृजकिशोर सिंह को पार्टी में शामिल कराने से बस्ती में अब भाजपा की राह आसान हो गई है. दरअसल कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे राजकिशोर इस समय राजनीति में हाशिए पर थे.
कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था 2019 का चुनाव
अखिलेश यादव से नाराजगी के बाद उनको सपा से अलग होना पड़ा था. 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस से लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार भी करीबी बस्ती से उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने का दावा कर रहे थे. ऐसे में राजनीतिक रसूख और बस्ती में प्रभाव की वजह से लोकसभा चुनाव में राजकिशोर न सिर्फ भाजपा प्रत्याशी को वोटों का नुकसान पहुंचा सकते थे बल्कि उस क्षेत्र में क्षत्रिय वोटों को प्रभावित भी कर सकते थे.
बीजेपी की रणनीति
इसे पूर्वांचल, खासतौर पर बस्ती में ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज को एक करने में बीजेपी की रणनीति के तौर कर देखा जा रहा है. ऐसे में बीजेपी ने राजकिशोर को शामिल करवा कर न सिर्फ बस्ती सीट का कांटा निकाल दिया बल्कि पूर्वांचल चुनाव से पहले क्षत्रिय समाज को संदेश भी देने की कोशिश की है. इससे पहले 29 अप्रैल को ही पार्टी में पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह का निष्कासन समाप्त कर क्षत्रिय समाज को संदेश देने की कोशिश की थी.
मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं राजकिशोर
राजकिशोर को पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में गिना जाता है. वैसे तो राजकिशोर बीएसपी और कांग्रेस में भी रहे हैं और उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था जिसमें वह तीसरे स्थान पर रहे थे. लेकिन उनकी पहचान समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ी है. कभी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे राजकिशोर तीन बार विधायक और मुलायम सिंह सरकार में मंत्री और अखिलेश यादव सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. राजकिशोर के भाई बृजकिशोर सिंह डिम्पल भी पूर्व राज्य मंत्री हैं. पिछले साल निकाय चुनाव से पहले मायावती ने दोनों भाइयों को बीएसपी से निष्कासित कर दिया था. उसके बाद से दोनों राजनीतिक ठिकाने की तलाश में थे.