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एवरेस्ट पर भारतीय झंडा फहराने का जज्बा ऐसा की हिजाबी माउंटेनर रिजवाना ने पैदल ही शुरू कर दी यात्रा, पैरों में छाले, नही डिग रहा हौसला

जब रास्ते न मिले तब रास्ते खुद से बनाने पड़ते है -पर्वतारोही रिजवाना ने एवरेस्ट के लिए धनराशि जमा न हो पाई तो पैदल ही यात्रा शुरू की है। एवरेस्ट फतह करने के हापुड़ के पिलखुवा से पर्वतारोही रिजवाना काठमांडू तक की पैदल यात्रा करेगी।

“कहते हैं न की जब हौसले बुलंद हो तो आपको कोई नहीं रोक सकता, यही कहानी है रिजवाना की”

CNB News : उत्तर प्रदेश के हापुड जिले के पिलखुआ के मोहल्ला छिद्दापुरी की रहने वाली इंतजार सैफी की पुत्री पर्वतारोही रिजवाना सैफी माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा फहराने के लिए हापुड़ के पिलखुवा से काठमांडू नेपाल तक पैदल यात्रा पर निकली है। पैसे के अभाव में उसने यह यात्रा पैदल ही शुरू की है। लेकिन जैसे जैसे यह यात्रा आगे बढ़ रही है लोगों का सहयोग और मदद भी मिल रही है। हर कोई रिजवाना के हौसले को सराहा रहा है।

Mountener rijwana
हापुड़ से शुरू हुई पर्वतरोही रिजवाना की यात्रा सोमवार को बरेली-शाहजहांपुर पहुंची, जहां पर स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद वह आगे मंजिल के लिए बढ़ गई।

रिजवाना ने 2013 में हिंदू कन्या इंटर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई की। रामपुर के इंपैक्ट कालेज से (B.A) स्नातक किया। इसके साथ ही 2013 में जवाहर पर्वतारोहण इंस्टीट्यूट से माउंटेनिंग बेसिक व एडवांस कोर्स किया। स्किंग का बेसिक व एडवांस कोर्स कर दक्षता हासिल की।

Mountener rijwana
रिजवाना अब तक 6 हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली कई पहाड़ी और 12 हजार फीट तक की ऊंचाई के कई विंटर ट्रैक पर भारतीय तिरंगा फहरा चुकी हैं। जिला स्तरीय 21 व 25 किलोमीटर की मैराथन में गोल्ड और सिल्वर मेडल प्राप्त किए है।

रिजवाना ने लगभग तीन साल तक माउंटेनरिंग इंस्टिट्यूट में गेस्ट इंसेक्टर के पद पर भी कार्य किया है। अब रिजवाना का सपना दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराना है। जिसके लिए वह सरकार से बहुत बार आर्थिक मदद मांग चुकी हैं, मदद न मिलने और माउंट एवरेस्ट के लिए फंड जमा न होने की वजह से 7 मार्च को पिलखुआ से काठमांडू तक पदयात्रा शुरू की है।

प्रतिदिन वह लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है इसी बीच वह मुरादाबाद जनपद में अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट विजेता शहीद रवि कुमार के घर जाकर उनके माता-पिता वह परिवारजन के लोगों से मुलाकात की और शहीद रवि कुमार की तस्वीर पर पुष्पमाला अर्पण की।

रिजवाना
शहीद रवि कुमार व परिवारजनों ने पर्वतारोही रिजवाना का माला व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। उसके बाद रिजवाना का माउंट एवरेस्ट के लिए फ्लैग ऑफ करके विदा किया।

पर्वतारोही रिजवाना 7 मार्च को पिलखुआा से यात्रा शुरू करके हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर, गजरौला, पाकबड़ा, मुरादाबाद, रामपुर मीरगंज, बरेली, कटरा के रास्ते होते हुए सोमवार को 300 किमी का सफर पैदल तय करके शाहजहांपुर पहुंच गई हैं।

रिजवाना
पर्वतारोही रिजवाना का कहना है कि अप्रैल के पहले हफ्ते में उन्हें काठमांडू पहुंचना है उसके लिए वह हार नहीं मानेंगे जीतोड़ मेहनत करेंगी। पद यात्रा के दौरान लोगों का मिल रहा सहयोग उनका हौसला बढ़ा रहा है।

मिशन माउंट एवरेस्ट यात्रा के दौरान पर्वतारोही रिजवाना के पैरों में बुरी तरह से छाले पड़ गए हैं लेकिन फिर भी वह रुकने का नाम नहीं ले रही है उनको रोजाना पदयात्रा का समापन करने के बाद रात्रि विश्राम करने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन वह हर हाल में अपने आप को विपरीत परिस्थिति मे भी सरवाइव कर रही हैं।

पर्वतारोही रिजवाना ने काठमांडू पहुंचने के लिए आगे के रूट की थोड़ी सी जानकारी हमें साझा की है जिसमें वह शाहजहांपुर के बाद बहराइच होते हुए सिद्धार्थनगर के रास्ते से काठमांडू पहुंचेंगी। इस यात्रा को शुरू हुए 12 दिन हो चुके हैं।

अभी तक वह प्रतिदिन लगभग 30 से 35 किलोमीटर का सफर कर रही थी लेकिन इस यात्रा को जल्दी समाप्त करने के लिए अब उन्हें 50 से 60 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से चलना पड़ेगा जिसके लिए वह बिल्कुल तैयार हैं।

Rijwana mountener
रिजवाना का कहना है कि जब आपको रास्ते नहीं मिले तब आपको रास्ता खुद बनाना पड़ता है मै जानती हूँ मुझे इस सफर में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी। अपने मिशन तक मै जरूर पहुंचूंगी। मेरी सभी देशवासियों से अपील है कि आप सब मेरा साथ देना सहयोग देना कि मैं माउंट एवरेस्ट पर जाकर भारतीय तिरंगा फहराकर देश – प्रदेश के साथ ही जनपद समाज और नारी समाज का नाम रोशन कर सकूं।

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