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अगले 10 साल में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा भारतीय रियल एस्टेट

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में बढ़ोतरी से रियल एस्टेट सेक्टर को फायदा होता दिख रहा है। औद्योगिक संगठन सीआईआई और नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अगले दस सालों में भारत की आबादी में बढ़ोतरी और शहर में लोगों के पलायन से 7.8 करोड़ मकान की जरूरत होगी।

आवासीय मकान के साथ ऑफिस के लिए जगह, मैन्युफैक्चरिंग के लिए जमीन और वेयरहाउस की भी मांग में बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2034 तक भारत के जीडीपी का आकार 10.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है और इस अवधि तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर के बाजार आकार के साथ जीडीपी में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी 10.5 प्रतिशत हो जाएगी।

वर्ष 2023 में रियल एस्टेट बाजार का आकार 482 अरब डॉलर का था। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2034 तक देश की आबादी 1.55 अरब पहुंचने की उम्मीद है और इस अवधि तक अनुमान के मुताबिक 42.5 प्रतिशत लोग शहर में रहने लगेंगे। इतनी बड़ी मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त रूप से 7.8 करोड़ मकान की जरूरत होगी।

टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी होगा तेजी से विकास वर्ष 2034 तक रियल एस्टेट के आवासीय सेक्टर का बाजार आकार 906 अरब डॉलर तो आफिस सेक्टर का बाजार आकार 125 अरब डॉलर का हो जाएगा।

भारत में आर्थिक गतिविधियों के विकास को देखते हुए वर्ष 2034 तक ऑफिस के लिए 2.7 अरब वर्ग फुट जगह की जरूरत होगी। टियर-2 व टियर-3 शहरों में भी रियल एस्टेट सेक्टर का तेजी से विकास होगा।

प्रोपटाइगरडाटकॉम के मुताबिक इस साल जनवरी-मार्च में देश के आठ बड़े शहरों में मकानों की बिक्री में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। इस साल आठ बड़े शहरों में 1.10 लाख करोड़ मूल्य के मकान की बिक्री हुई जबकि पिछले साल जनवरी-मार्च में यह बिक्री 66,155 करोड़ रुपये की थी।

सीआईआई से जुड़ी रियल एस्टेट कमेटी के प्रेसिडेंट नील रहेजा का कहना है कि सरकार की नीति, टेक्नोलॉजी के विस्तार एवं बड़ी संख्या में शहरों की ओर पलायन से रियल एस्टेट सेक्टर अगले दस सालों तक तेजी से बढ़ेगा।

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