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Ramadan 2024 : जाने क्या होता है एतकाफ, इस्लाम में इसका क्या महत्व है?

एतकाफ रमजान के अंतिम अशरे में किया जाता है। एतकाफ में बैठने के लिए 20 वें रोजे को असर की नमाज के बाद सूरज डूबने से पहले मस्जिद में प्रवेश करना होता है। वहीं औरतें भी घर के अंदर ही एतकाफ में बैठ सकती है।

Ramadan 2024 : 20 वें रोजे के मुकम्मल के साथ ही मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा शुरू हो जाएगा, जो जहन्नुम से आजादी का है। साथ ही इस अंतिम अशरे में शबे कद्र भी आती है। शबे कद्र पाने को अल्लाह के नेक बंदे मस्जिदों में एतकाफ में बैठते है, वहीं औरतें भी एतकाफ करती है। एतकाफ क्या है और कैसे शबे कद्र पा सकते है। कितना सवाब मिलता है और इसकी दुआ क्या है। इसको लेकर हमारे सब-एडीटर फैजान कुरैशी ने मुफ्ती तैयब अहमद कासमी से विशेष बातचीत की है। आइये जानते है-

मुकद्दस रमजान के आखिरी अशरें में एतकाफ की बड़ी फजीलत है। क्योंकि इन पांच ताक रातों में ही कुरआन पाक नाजिल हुआ। मुफ्ती तैयब अहमद कासमी ने बताया कि हजरत मोहम्मद साहब (स.अ.) भी सहाबों के साथ इस आखिरी अशरे में एतकाफ में बैठा करते थे। इसलिए एतकाफ सुन्नत के साथ साथ अल्लाह की कुरबत और खुशनूदी पाने का खास जरिया है।

रमजान के आखिरी अशरे का एतकाफ सुन्नतें किफाया है। इसलिए मोहल्ले का कोई एक व्यक्ति भी मस्जिद में बैठ गया तो यह सुन्नत सबकी ओर से अदा हो गई। अगर मोहल्ले में से कोई भी मस्जिद में एतकाफ के लिए नही बैठा तो इसके गुनहगार सब होंगे। एतकाफ में बैठने वाला इंसान शबे कद्र को आसानी से पा सकता है, क्योकि एतकाफ में सोना भी इबादत में शामिल है। एक आदमी के एतकाफ में बैठने से पूरे मोहल्ले के लोगों पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है।

Ramadan 2024 क्या है एतकाफ

एतकाफ रमजान के मुकद्दस महीने की खास इबादत में से एक है। मस्जिद में अल्लाह की इबादत यानि जिक्र ए इलाही की नीयत से ठहरने को एतकाफ कहते है। एतकाफ तीन तरह का होता है। वाजिब, सुन्नत किफाया व नफिल। चुनांचे सुन्नत एतकाफ रमजान के अंतिम अशरे में किया जाता है।

20वें रमजान को असर की नमाज के बाद सूरज डूबने से पहले मस्जिद में प्रवेश करना होता। ईद का चांद दिखने के बाद ही मस्जिद से बाहर निकलते है।

दो दिन का एतकाफ
जिसने रमजान में दस दिन एतकाफ कर लिया उसे दो हज और दो उमरे का सवाब मिलता है। इसके अलावा दो दिन का एतकाफ भी किया जा सकता है। जो नफिल है। यह एतकाफ टूटता नही है। लेकिन जितने टाइम मस्जिद में रहेंगे उतना ही सवाब मिलेगा।

औरतें भी कर सकती एतकाफ
मुफ्ती तैयाब अहमद कासमी कहते है कि एतकाफ मर्द ही नही औरतें भी कर सकती है। इसके लिए जगह का पाक साफ होना लाज्मी है। औरतें घर के अंदर उस जगह को ही चुने जहां वे रोजा नमाज अदा करती हो। एतकाफ पूरा होने तक अल्लाह की खुशनूदी पाने को इबादत करती रहे।

Ramadan 2024 : एतकाफ में क्या करें-

एतकाफ में नमाज नवाफिल व कुरआन की तिलावत करें। किसी से बिला उज्र गुफ्तगू न करें। ज्यादा वक्त अल्लाह के जिक्र और नमाज नवाफिल में गुजारें। अल्लाह तआला एतकाफ में बैठने वाले की दुआएं कुबूल फरमाता है।

जनाजे में भी शिरकत नही कर सकते
एतकाफ का मतलब है खुद को विशेष जगह पर पाबंद कर लेना। यानी इस दौरान आप मस्जिद से बाहर नही निकल सकते। गौया अगर किसी का इंतकाल हो जाए वह चाहे परिचित है या सगा सम्बंधित उसके जनाजे में मस्जिद से बाहर जाकर शामिल नही हो सकते है। एतकाफ में ही, वहीं से मगफिरत की दुआ कर सकते है।

नफिल एतकाफ व दुआ
इसकी कोई लिमिट नही है। जितनी बार मस्जिद आएंगे शुरू हो जाएगा। निकलते ही खत्म। फिर मस्जिद आएंगे फिर शुरू। इसके लिए नीयत करना जरूरी है। हालांकि अगर आपने ने दिल मे यह तय कर लिया की में एतकाफ में बैठ रहा हूं, बस यही नियत काफी है। जबान से चाहे तो इतना भी बोल सकते है कि ऐ अल्लाह मैं एतकाफ कर रहा हूं। इसके अलावा भी जिन्हें याद हो दुआ पढ़ सकते है।

Ramadan 2024 : क्या है शबे कद्र ?

मुकद्दस रमजान की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रातों को शब ए कद्र की रात माना जाता है। इन पाक रातों में से ही एक में कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। जिस रात को कुरआन नाजिल हुआ उसे ही शबे कद्र कहते है।

हालांकि वो शबे कद्र वाली रात जिसमें कुरआन नाजिल हुआ किसी को सही मालूम नही है लेकिन 27वीं शब को खास माना जाता है। इसलिए इन पांच रातों में ही मोमिन बंदे शबे कद्र तलाशते है और अल्लाह की इबादत में जिक्र इलाही करते है।

एतकाफ टूटने की वजह
मस्जिद के बाहर निकलने पर एतकाफ टूटता है। अगर आप बिला वजह मस्जिद से बाहर निकलें तो एतकाफ टूट जाएगा।

क्या है सवाब
जो शख्स एक दिन का एतकाफ करेगा, जहन्नुम से तीन खंदके की फासले की बाकद्र दूर हो जाएगा। और खंदक जमीन ओ आसमान के दरमियान फासले को कहते है।

एतकाफ के दौरान क्या करें

  • कुरआन की तिलावत करें
  • उम्र कजा नमाजे पढ़े
  • इशराक की नमाज अदा करे
  • खास तौर पर सलातुत तस्बीह पढ़े

इनका बातों का ख्याल रखें

  1. खुदा की बंदगी में लगे रहें।
  2. एतकाफ के दौरान बिला जरूरत बोलने से बचें।
  3. मस्जिद से बाहर न निकलें।
  4. बैतूल खला, पेशाब व वुजू के लिए बाहर जा सकते है।

 

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