RLD चीफ जयंत NDA में हुए शामिल, पश्चिम की वो सीटें जो BJP के लिए थी अहम
RLD चीफ जयंत चौधरी शनिवार को देररात BJP अध्यक्ष व गृहमंत्री से मुलाकात के बाद NDA में शामिल हो गए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर NDA में शामिल होने की पुष्टि करते हुए भाजपा का 400 पार का संकल्प दोहराया। वहीं जेपी नड्डा ने भी उनका स्वागत किया।
CNB News ब्यूरो : तमाम अटकलों के बाद सपा का साथ छोड़ RLD मुखिया जयंत चौधरी NDA में शामिल हो गए। शनिवार को देर रात जयंत चौधरी ने BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर भाजपा के साथ शामिल होने की पुष्टि की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखते हुए कहा कि भारत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास और गरीब कल्याण का समानांतर साक्षी बन रहा है। जयंत चौधरी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के 400 सीटें पार होने का भी संकल्प दोहराया। वहीं जेपी नड्डा ने भी जयंत के साथ तस्वीर शेयर करते हुए उनका एनडीए में स्वागत किया।
आखिर NDA में जाने की क्या बनी वजह ?
सूत्रों की मानें तो रालोद की सपा से अलग होने की वजह सीटों का बंटवारा रहा। सपा ने जयंत चौधरी के सामने सीट बंटवारे का जो फार्मूला रखा था, वह उससे सहमत नहीं थे। इसलिए NDA के साथ जाने का फैसला किया। हालांकि सपा ने रालोद को 7 सीटें देने की बात कही थी। सपा ने RLD को जो सात सीटें देने का वादा किया था, उनमें मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, मथुरा, हाथरस, बागपत, बिजनौर और अमरोहा में से एक सीट शामिल थी।
इसके साथ ही सपा ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। यह बात जयंत चौधरी की नाराजगी की बड़ी वजह बन गई। इसके अलावा सपा ने जयंत को 4 सीटों कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मेरठ के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची थमा दी थी। यानी इन सीटों पर सिंबल तो RLD का रहता, लेकिन प्रत्याशी सपा के होते। यह बात जयंत चौधरी को मंजूर नहीं थी। इसके चलते ही वह अखिलेश यादव से नाराज हो गए थे।
सत्ता में भागीदारी और भारत रत्न से पलटा पाला
भाजपा ने जयंत चौधरी के दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर जयंत और उनके पूरे परिवार का सपना पूरा कर दिया। इसके अलावा भाजपा ने RLD को बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट और यूपी सरकार में मंत्री पद देने की भी पेशकश की। हालांकि भारत रत्न की घोषणा के बाद ही जयंत ने संकेत दे दिए थे कि उनका अगला साथी बीजेपी होगी।
पश्चिमी में 2019 में BJP को गंवानी पड़ी थी 7 सीटें
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज कर विपक्ष को बड़ा झटका दिया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम बाहुल्य माने जाने वाली इन सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर विपक्ष को क्लीन स्वीप कर दिया था। लेकिन 2019 में रालोद के सपा गठबंधन के साथ चलें जाने से 14 सीटों में 7 सीटों का नुकसान हुआ था। जिसकी भरपाई के लिए भाजपा तब से ही जुटी थी। रालोद को साथ लाने का मौका मिलते ही भाजपा ने बिना देरी किए NDA में शामिल कर लिया।
2014 में पश्चिमी की इन सीटों पर जीती था भाजपा
2014 में BJP ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीटें जीत कर सभी को चौक्का दिया था। मुस्लिम बाहुल्य माने जाने वाली रामपुर, संभल व मुरादाबाद सीट भी भाजपा की झोली में चली गई थी। लेकिन सपा-बसपा व रालोद के गठबंधन की वजह से भाजपा को 2019 में यहां 7 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल व रामपुर सीटों पर इस बार हार का सामना करना पड़ा।
2019 में पश्चिमी में इन सीटों पर जीता था गठबंधन
2019 में सपा-बसपा व रालोद गठबंधन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 14 सीटों में सात सीटों पर जीत मिली थी जिनमे बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा सीटें बसपा ने जीती थी जबकि मुरादाबाद, संभल व रामपुर सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की थी। गठबंधन में शामिल होने के बाद भी रालोद को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। रालोद का एक भी प्रत्याशी नही जीत सका था। यह भी एक बड़ी वजह है कि रालोद ने NDA में जाने का निर्णय लिया।